Sandhya Rajesh Mishra, Ms (2011) संपूर्ण स्वास्थ्य का आधार - राजयोग. Other thesis, Annamalai University and Brahma Kumaris.
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Abstract
सु वा य येक यि त क मूलभूत आवयकता है । सामा य वा थ के बना कोई भी यि त शार रक, मानसक, बौि दक या सामािजक काय भलभांत नहं कर सकता है। सं कृत का सुभाषत है क वा थमव सव सुख मूलम्। ययप चकसा व ान के े म अपार गत हुई है, फर भी यि त पूण वथ कैसे रहे – इसका ान होना आवयक है। अनेक असा य रोगी क जांच एव चकसा हेतु बहुत से नवीन उपकरण एंव यं क खोज क गई है। सैकड़ तरह क दवाएं भी उपलध ह, िजनसे कई सं ामक एवं असा य रोग से छुटकारा मला है। फर भी तनाव से सबि धत अनेक बीमारयां महामार क तरह फैल रह है। इसलए यह आवयकता है क यह बताया जाए क यि त तनाव से मु त कैसे हो ? अब वा थ क सपित म वृि द करने क बात महसूस क जाने लगी है और शार रक वा थ के साथ सामािजक एवं मानसक वा थ को भी अधक महव दया जा रहा है। दवाओं से चकसा के साथ अब सामा य यि तय को वथ जीवन के नयम एवं तरक क श ा देने क आवयकता है। आज बहुत बडी सं या म युवक एवं युवतयां नशील दवाओं का सेवन करने लगे ह। वतमान समय म एस नामक जानलेवा बीमार फैल है, िजससे सारा वव चंतत है। सु वा य येक यि त क मूलभूत आवयकता है । सामा य वा थ के बना कोई भी यि त शार रक, मानसक, बौि दक या सामािजक काय भलभांत नहं कर सकता है। सं कृत का सुभाषत है क वा थमव सव सुख मूलम्। ययप चकसा व ान के े म अपार गत हुई है, फर भी यि त पूण वथ कैसे रहे – इसका ान होना आवयक है। अनेक असा य रोगी क जांच एव चकसा हेतु बहुत से नवीन उपकरण एंव यं क खोज क गई है। सैकड़ तरह क दवाएं भी उपलध ह, िजनसे कई सं ामक एवं असा य रोग से छुटकारा मला है। फर भी तनाव से सबि धत अनेक बीमारयां महामार क तरह फैल रह है। इसलए यह आवयकता है क यह बताया जाए क यि त तनाव से मु त कैसे हो ? अब वा थ क सपित म वृि द करने क बात महसूस क जाने लगी है और शार रक वा थ के साथ सामािजक एवं मानसक वा थ को भी अधक महव दया जा रहा है। दवाओं से चकसा के साथ अब सामा य यि तय को वथ जीवन के नयम एवं तरक क श ा देने क आवयकता है। आज बहुत बडी सं या म युवक एवं युवतयां नशील दवाओं का सेवन करने लगे ह। वतमान समय म एस नामक जानलेवा बीमार फैल है, िजससे सारा वव चंतत है। उसका सबसे छोटा भाग ह देखा जा सकता है और बहुत बडा भाग पानी म डूबा हुआ होता है। इस कार रोग का सू म हसा ह डॉ टर वारा देखा जा सकता है। जब एक यि त को सरदद, बुखार इयाद होता है तब लोग उसे अवथ समझते ह। लेकन ये ऊपर रोग के ल ण न ह, तो भी यि त अवथ हो सकता है, योक संभव है क इस समय वह रोग के चन महसूस न करता हो, तो भी साथ-साथ अगर वह रोग अदर ह अदर फैल रहा है तो इसका नदान डॉ टर नहं कर पाता। उसके लए यि त को बीमार के मूल कारण से मु त रहना चाहए ताक शार रक बीमार को उपन होने एंव फैलने से रोका जा सके । वव वा थ संगठन ने शार रक प से वथ यि त के ल ण का वणन कया है और बताया है क शार रक प से वथ यि त के वभन अंग क बा य रचना एवं आंतरक कायवाह वथ होगी। जैसे- पाचन णाल, दय, वसन णाल आद सह हो, ंथय का ाव सह हो, शार रक वजन उचत हो, खून का दबाव भी ठक हो, आद-आद।
Item Type: | Thesis (Other) |
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Subjects: | K PGDiploma > Value Education and Spirituality |
Divisions: | PGDiploma |
Depositing User: | Unnamed user with email vrsaranyaa88@gmail.com |
Date Deposited: | 13 Aug 2025 11:51 |
Last Modified: | 13 Aug 2025 11:51 |
URI: | https://ir.bkapp.org/id/eprint/238 |